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फूल / श्रीनाथ सिंह
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धूल उड़े या आँधी आवे,
जल बरसे या धूप सतावे।
या डाली से तोड़ा जाऊँ,
मसला और मरोड़ा जाऊँ।
कभी न भय खाऊँगा मन में,
मैल न लाऊँगा जीवन में।
मरते दम तक मुस्कऊँगा,
महक मनोहर फैलाऊँगा।