भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हूंस / निशान्त
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:09, 9 मई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशान्त |अनुवादक= |संग्रह=आसोज मा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
कई बारी
कित्तो आछो
अर सू’णो
मिलै पढण नै
कै जी करै
बांचता रैवां
बांचता रैवां
पण इत्तो टेम
कीं कन्नै है
भणण-गुणण सारू ।