भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अलगाव / ओरहान वेली
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:30, 30 जून 2015 का अवतरण
मैं नाव के पीछे खड़ा हूँ
और देख रहा हूँ
मैं पानी में कूद नहीं सकता
दुनिया बेहद ख़ूबसूरत है
मैं एक पुरुष हूँ आख़िर
मैं रो नहीं सकता
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय