भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नदी / देवी प्रसाद मिश्र
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:15, 12 जुलाई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= देवी प्रसाद मिश्र |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मैं बस में चढ़ा
मैं खिड़की से बाहर देख रहा था
बस में बहुत सारे लोग थे
लोग कण्डक्टर को बता देते थे जो उन्हें किसी स्टेशन, गाँव या कस्बे में उतार देता था
मुझसे कण्डक्टर ने पूछा कि कहाँ उतरना है तो मैंने कहा कि सुवर्णरेखा पर उतार देना।
कण्डक्टर ने कहा सुवर्णरेखा तो नदी है और ऋत्विक की फ़िल्म है
मैंने कहा मुझे नदी या ऋत्विक के पास उतार देना ।