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छूटा छक्का / सूर्यकुमार पांडेय
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भीड़-भड़क्का
धक्कम-धक्का,
क्रिकेट खेलने
पहुँचे कक्का।
छक्का-चौका
चौका-छक्का,
हुए बेचारे
हक्का-बक्का।
पीकर मट्ठा
खाकर मक्का
‘मैं खेलूँगा’
-बोले कक्का।
जैसे एक
खिलाड़ी पक्का,
चले अकड़ते
ऐसे कक्का।
गेंद लगी
हो गए मुनक्का,
चौका भूले
छूटा छक्का!