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मछरि मराव / प्रेमघन
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नीच जाति के बालक खेतन मैं पहरा धरि।
मारत मछरी सहरी अरु सौरी गगरिन भरि॥
युव जन छीका और जाल लीने दल के दल।
मत्स मारिबे चलत नदी तट अति गति चंचल॥
पौला सब के पगन सीस घोघी कै छतरी।
लेकर लाठी चलैं मेंड़ बाटैं सब पतरी॥