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मुकरी-2 / अमरेन्द्र

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भोरे होत्हैं नींद तुड़ावै
बड़को सब रोॅ होष उड़ावै
भन.भन करै जे रातो-दिन भर
की रे दादी ?
नै रे-मच्छर ।