भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अगले वर्ष / नित्यानंद गायेन

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:46, 23 मई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नित्यानंद गायेन |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अगले फिर निकलेगी झाँकी राजपथ पर
भारत भाग्य विधाता
लेंगे सलामी
डिब्बों में सजाकर परोसे जाएँगे
विकास के आँकड़े
शहीदों की विधवाओं को पदक थमाए जाएँगे
राष्ट्राध्यक्षों के सूट की चमक और बढ़ जाएगी
जलती रहेगी अमर ज्योति इण्डिया गेट पर
मूक खड़ी रहेगी लालकिले की दीवार
भीतर कहीं रो रहे होंगे बहादुरशाह ज़फर —
"न मैं ‘मुज़्तर’ उनका हबीब हूँ न मैं ‘मुज़्तर’ उनका रक़ीब हूँ
जो बिगड़ गया वो नसीब हूँ जो उजड़ गया वो दयार हूँ"।
दबा दिया जाएगा आत्महत्याओं की सभी बरों को
भूख, बलात्कार पर कोई बात न होगी
स्पेस सेण्टर मंगल से आगे यात्रा की रूपरेखा प्रस्तुत करेगा
नए लड़ाकू विमान शामिल होंगे सेना में
भारत माता का जयगान होगा
देश बस्तर, विदर्भ से होते हुए कालाहाण्डी और फिर उससे आगे निकल जाएगा
हर रोने वाले को ठूँस दिया जाएगा जेल में
जहाँ कोई भी सुन न सके सिसकियाँ तक
फिर हमारे राष्ट्रीय टेलीविजन पर
राष्ट्र नायक कहेंगे 'मन की बात'!
शान्तिप्रिय लोग गाँधीजी को देंगे श्रद्धांजलि
दंगों के बाद।
मैं और तुम
यूँ ही जीते रहेंगे अपनी-अपनी ज़िन्दगी
खाना, सोना और साँस लेना
यही दिनचर्या है ।
मैं ख़ुश नहीं कर पाता सबको
उनकी यही शिकायत बनी रहेगी
देश में तमाम बदलावों के बावजूद
मेरे-तुम्हारे अगले साल में कुछ भी नया नहीं होगा।