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हम / शहनाज़ इमरानी

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कविता में थोड़े-से तुम
थोड़ी-सी मैं
तुम कुछ मेंरे जैसे
कुछ तुम्हारे जैसी मैं

होना घटना है अगर
सचमुच हैं ’हम’।