भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हम / शहनाज़ इमरानी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:32, 10 जुलाई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शहनाज़ इमरानी |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
कविता में थोड़े-से तुम
थोड़ी-सी मैं
तुम कुछ मेंरे जैसे
कुछ तुम्हारे जैसी मैं
होना घटना है अगर
सचमुच हैं ’हम’।