भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आपकोॅ हवा / रौशन काश्यपायन
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:34, 29 जुलाई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रौशन काश्यपायन |अनुवादक= }} {{KKCatAngikaRach...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
जवाब केॅ जानै लेली
जन्नें-तन्नें भगटली मतछिमतोॅ छै
आयकोॅ ई बिना मौसमवाली हवा सिनी
कि जयै तेॅ कन्नें जैयै?
आपनोॅ चपेटोॅ में लियै तेॅ केकरा लियै?
दु- एक टा गाछोॅ के फुनगी पर बैठली
निशुवैली चिड़ैया रोॅ मुहोॅ सें
आय कौनें छीनी लेलकै गाना ?