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प्रेम / नवीन निकुंज

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ताहरोॅ आँख
देखतें-देखतें
ई की होल्है
कि हठाते मुनी गेलोॅ छै
हमरोॅ दुन्हू आँख
आरोॅ खुली गेलोॅ छै-तेसरोॅ आँख
जेकरा में
हम्मी जली रहलोॅ छी
हम्मी कामदेव।