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आज / आभा बोधिसत्त्व

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आज महिला दिवस पर

मन में बहुत कुछ चल रहा है,


क्या लिखूँ क्या न लिखूँ के बीच

समय बीत रहा है,


इसी बीतने में

हर दिवस हर त्यॊहार की तरह

यह भी निकल न जाए.


नही़ नहीं- मैं

मैं लिखूँगी अपनी एक कविता