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विनय पत्रिका / तुलसीदास

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राग बिलावल

श्री गणेश-स्तुति

गाइये गनपति जगबन्दन. सन्कर-सुवन भवानी-नंदन..१..

सिद्धि-सदन, गज बदन, बिनायक. क्रिपा-सिंधु, सुंदर, सब-लायक..२..

मोदक-प्रिय, मुद-मंगल-दाता. बिद्या-बारिधि, बुद्धि-बिधाता..३..

माँगत तुलसिदास कर जोरे. बसहिं रामसिय मानस मोरे..४..