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सदस्य वार्ता:अमित दुआ
Kavita Kosh से
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अंधेरे में भाग 5
अंधेरे में कविता का एक अलग संस्करण भी है, जो राजकमल से प्रकाशित, अशोक वाजपेयी द्वारा संपादित, मुक्तिबोध की प्रतिनिधि कविताएँ में मिलता है। इसकी शुरुआत में टिप्पणी लिखी है जिसके अनुसार वो पाठ कल्पना और चांद का मुँह टेढ़ा है में छपे पाठों से भिन्न है। आप कौन-सी किताब में से इस बात का हवाला दे रहे हैं। कोश पर जो है, वो चांद का मुँह टेढ़ा है से ,शायद, ली गई है। मैं आपको देखकर बता दूँगा। --सुमितकुमार कटारिया(वार्ता) ०५:३०, २७ अप्रैल २००८ (UTC)