भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पुलिस / कृष्ण पाख्रिन
Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:32, 25 नवम्बर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= कृष्ण पाख्रिन |अनुवादक= |संग्रह=स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
जे भन्यो उही ग¥यो
हाकिमको बचनलाई
तामेल गर्न
ग्रेड प्रमोशन थाप्न
अगाडि बढ्ने
हडताल जुलूसलाई रोक्न
अगाडि सर्ने
सधैं निमुखा
जुलूसको ढुंगा खाने
सरकारको यौटा बलियो पर्खाल
निरीह जीव !
बिचरा !!
पुलिस !!!