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कुंभ-3 / विजय कुमार
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यह जो उस पार मंदिर है
उसमें है अंधेरा इतना
दिखते नहीं शंभू
कर्मों के फल से छुटकारा दिलाने वाले महामहिम
तुम्हारे दलाल
मटमैले जल के छींटे दे रहे हैं
भीगता है मेरे भीतर का भय
लो एक मिनट सम्भालो तुम यह कैमरा