भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नमस्कार / उदय प्रकाश
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:58, 20 मई 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उदय प्रकाश |संग्रह= रात में हारमोनियम / उदय प्रकाश }} पा...)
पानी अगर सिर पर से गुज़रा, आलोचको
तो मैं किसी दिन आज़िज़ आकर अपने शरीर को
परात में गूँथ कर मैदे की लोई बना डालूंगा
और पिछले तमाम वर्षों की रचनाओं को मसाले में लपेट कर
बनाऊंगा दो दर्ज़न समोसे
और सारे समोसे आपकी थाली में परोस दूंगा
तृप्त हो जाएंगे आप और निश्चिंत
कि आपके अखाड़े से चला गया
एक अवांछित कवि-कथाकार
नमस्कार !