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संतान साते / नीलेश रघुवंशी

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माँ परिक्रमा कर रही होगी पेड़ की

हम परिक्रमा कर रहे हैं पराए शहर की

जहाँ हमारी इच्छाएँ दबती ही जा रही हैं।


सात पुए और सात पूड़ियाँ थाल में सजाकर

रखी होंगी नौ चूड़ियाँ

आठ बहन और एक भाई की ख़ुशहाली

और लम्बी आयु


पेड़ की परिक्रमा करते

कभी नहीं थके माँ के पाँव।


माँ नहीं समझ सकी कभी

जब मांग रही होती है वह दुआ

हम सब थक चुके होते हैं जीवन से।


माँ के थाल में सजी होंगी

सात पूड़ियाँ और सात पुए

पूजा में बेख़बर माँ नहीं जानती

उसकी दो बेटियाँ

पराए शहर में भूखी होंगी

सबसे छोटी और लाड़ली बेटी

जिसके नाम की पूड़ी

इठला रही होगी माँ के थाल में

पूड़ी खाने की इच्छा को दबा रही होती है।