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सुबह / चन्द्रकान्त देवताले

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चिड़िया को अपनी जगह पर
घोंसला नहीं मिला
और अपने रुदन को वह
आकाश और कमरे के बीच
बाँटने लगी
बच्चे की माँ
बर्तन माँजने जा चुकी थी
वह ख़ाली कटोरदान में
मुँह घुसेड़ पेट बजाते
सड़क पर आ निकला
अज्ञात भय की पगडंडी से लुढ़कते हुए
एक अंडा मेरे भीतर गिरा
और फिर आँखों में आ फूट गया