भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नदियाँ / आलोक धन्वा

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:34, 3 जुलाई 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार = आलोक धन्वा }} इछामती और मेघना महानंदा रावी और झेलम ग...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इछामती और मेघना

महानंदा

रावी और झेलम

गंगा गोदावरी

नर्मदा और घाघरा

नाम लेते हुए भी तकलीफ़ होती है


उनसे उतनी ही मुलाक़ात होती है

जितनी वे रास्ते में आ जाती हैं


और उस समय भी दिमाग कितना कम

पास जा पाता है

दिमाग तो भरा रहता है

लुटेरों के बाज़ार के शोर से।