भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हाइकु 59 / लक्ष्मीनारायण रंगा
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:13, 26 जुलाई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लक्ष्मीनारायण रंगा |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
जीवणी-डावी
आंख, नीं राखो भेद,
बेटे-बेटी क्यूं?
चावै है लोग
बिन पांख हिलायां
आभो छूवणो
जिण भाठै नैं
मिल जावै तरास
मूरत बणै