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बीते लम्हे / देवमणि पांडेय
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बीते लम्हे मुझे आए याद
बारिशों की वो रंगीन बूंदें
ख़्वाब में खोई मीठी-सी नींदें
दूर तक जुगनुओं की बरातें
रातरानी से महकी वो रातें
बीते लम्हे मुझे आए याद
चांदनी का छतों पर उतरना
प्यार के आइनों में सँवरना
ओस का मुस्कराना, निखरना
फूल पर मोतियों सा बिखरना
बीते लम्हे मुझे आए याद
वो निगाहों के शिकवे गिले भी
चाहतों के हसीं सिलसिले भी
छू गईं फिर मुझे वो हवाएँ
जिनमें थीं ज़िन्दगी की अदाएँ
बीते लम्हे मुझे आए याद