भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

घुंघटा / हरेश्वर राय

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ४ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:33, 8 फ़रवरी 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरेश्वर राय |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तनिका घुंघटा हटा दीं गज़ल लिख दीं
रउरा मुखड़ा के नाँव नीलकमल लिख दीं I

मुस्कुरा दीं तनिक अध खिलल कली अस
त एह अदा के नाँव ताजमहल लिख दीं I

अध खुलल आँख से तिरछे ताकीं तनिक
ताकि अमरित के गागर भरल लिख दीं I

ठाढ़ पल भर रहीं भर नजर त देख लीं
ए जहाँ के सबसे सुन्दर नसल लिख दीं I

मौन के अपना अतना बना दीं मुखर
 प्यार के इयार मूरत असल लिख दीं I