भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जीवन-अंतिका / ओम नीरव
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:08, 27 फ़रवरी 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओम नीरव |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGeetika}} <p...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
लिख गयी है जन्म के ही साथ जीवन-अंतिका।
प्यार से आओ सजायें भाल चन्दन अंतिका।
शान्त जीवन भर प्रतीक्षा जो मिलन की कर रही,
है वही मेरे ह्रदय की आज धड़कन अंतिका।
छोड़ देते साथ जब सब छोड़ देती देह भी,
अंक देकर तब निभाती प्रीति-बंधन अंतिका।
धर्म-दर्शन से न सुलझी उलझनें संसार की,
किन्तु सुलझाती त्वरित प्रत्येक उलझन अंतिका।
बाद जीवन के बचेगा क्या, लिखा जिसमें यही,
है उसी अनमोल-सी कृति का विमोचन अंतिका।
सत इधर या सत उधर यह भेद जाने कौन पर,
सत-असत के बीच करती है विभाजन अंतिका।
भूख तृष्णा क्रोध ईर्ष्या वासना 'नीरव' घुटन,
एक पल में कर रही सबका समापन अंतिका।
——————————
आधार छंद-गीतिका
मापनी: गालगागा-गालगागा गालगागा गालगा