भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चूमा कर / रणजीत

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:04, 18 मई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रणजीत |अनुवादक= |संग्रह=बिगड़ती ह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चूमा कर चुमवाया कर
इसमें न सकुचाया कर।
दिन में अगर नहीं है फुर्सत
सांझ पड़े आ जाया कर।
अजनबियत की धूप है तीखी
मुझ पर प्यार का साया कर।
प्यार का सौदा सच्चा सौदा
जम कर प्यार कमाया कर।
सांसों का सिलसिला ज़िन्दगी
सांस से सांस मिलाया कर।
प्यार यहाँ इकलौता अमृत
पीकर, मुझे पिलाया कर।
प्यार से अपने प्राण धन्य कर
और सफल यह काया कर।