भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
घटनाएँ / नरेन्द्र जैन
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:40, 29 मई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नरेन्द्र जैन |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
घटनाएँ
घटनाओं की तरह थीं
एकाएक और नींद के बीच
घटती हुईं
आशँका रहित, तोड़ती उम्मीदों को
वे कहीं नहीं थीं
सम्भवत: कहीं न कहीं वे रही हों
ढूँढ़ती हुई विस्फोट का मुहाना ।
पर
लोग नहीं जानते थे
यह वक़्त की बुरी मार थी उन पर
और वे आहत थे कि दुर्घटनाएँ हुईं ।
घटनाएँ
ज़्यादातर दुर्घटनाओं की शक़्ल में
सामने आईं
इन्हें लेकर कोई अपना इतिहास नहीं
लिख सकता था
उन्हें याद करते रहना बहुत
तकलीफ़देह काम था ।
उनमें से जो
जितनी उम्र बिता चुका था
उससे ज़्यादा दुर्घटनाएँ झेल चुका था ।
उस
चरमराती व्यवस्था में नौजवान ख़ुश थे
कि दुर्घटनाएँ हो रही हैं
और
लगातार
सबको एक कर रही हैं ।