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वे दोनों / स्वप्निल श्रीवास्तव

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वे दोनों साथ साथ रहते थे ।
उनके नाम बहुत सुन्दर थे ।

उनके पिताओं ने किसी पवित्र दिवस पर
उनका नामकरण किया था ।
उस दिन उनके नाम का जश्न
मनाया गया था ।

जब वे बड़े हुए अपने नाम के
विरुद्ध आचरण करने लगे ।
उनके नाम की सुन्दरता नष्ट
होने लगी ।

उनके नाम पुलिस स्टेशन में दर्ज
होने लगे,
कई घोटालो में उनके नाम का
उल्लेख हुआ ।

जिन पिताओं ने उन्हें जन्म दिया था,
वे इस दुनिया में नही है,
लेकिन उनकी आत्मा ज़रूर सोच
रही होगी कि उन्होंने अपने बुरे बेटो
के लिए बेवजह अच्छे नाम खर्च
कर दिए हैं ।