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तुम्हारे बिना / ईशान पथिक
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आंखों से अक्सर ही
आंसू छलक जाते हैं
हम उनको पोंछकर
फिर भी मुस्कुराते हैं
देखो अनगिन सितारों में चाँद अकेला है
मैं भी तो हूं तनहा चारों तरफ मेला है
जब याद आती हो तुम
कटती नहीं रातें हैं
आंखों से अक्सर ही
आंसू छलक जाते हैं
खुशबू तुम्हारी मैंने रूह में बसाई है
तुम नहीं साथ मेरे रहती तनहाई है
सामने नजर के तुम
तनहा खुद को पाते हैं
आंखों से अक्सर ही
आंसू छलक जाते हैं
आना मत लौट कभी रिमझिम बरसात में
अब नहीं कुछ भी तुम्हें देने को हाथ में
याद कोई दिल में लिए
गीत लिखते जाते है
आंखों से अक्सर ही
आंसू छलक जाते हैं
आंसुओं में भीग भीग
होठ मुस्कुराते हैं