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जवानी / महेन्द्र भटनागर
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समय तो गुज़रता चला जायगा
पर, जवानी कभी भी मिटेगी नहीं !
करोड़ों युगों से
जवानी का दरिया
हज़ारों रुकावट मिटाकर
निरंतर बहा है,
व बहता रहेगा !
करोड़ों युगों से
जवानी का सरगम
नयी ज़िन्दगी का
नया गीत गाता रहा है,
व गाता रहेगा !
कि झंकार जिसकी
कभी भी दबेगी नहीं,
और
नभ में,
दिशा में,
नगर में,
डगर में,
बड़े शोर से गूँज
सबको जगाती रहेगी !
व सपनों की दुनिया
अँधेरे की दुनिया
सदा लड़खड़ाती रहेगी !
अँधेरा गिरेगा,
अँधेरा मिटेगा,
कभी पर,
जवानी की ज्योति धुँधली पड़ेगी नहीं !
समय तो गुज़रता चला जायगा
पर,
जवानी कभी भी मिटेगी नहीं !