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समझौता / हरेराम बाजपेयी 'आश'
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तुम अपना झूठ मुझे मत बताना,
मैं अपना सच तूमे नहीं बताऊँगा,
आओ हम दोनों फिर एक समझौता कर लें,
चुनाव होने तक एक होले,
परिणाम...
तुम मुझ पर पत्थर नहीं फेकोंगे,
मैं तुम पर कीचड़ नहीं उछालूँगा,
तह में पानी गहराई कितनी है,
न तुम बताना न मैं बताऊंगा।
तुम अपना झूठ मुझे मत बतलाना,
मैं अपना सच नहीं बताऊंगा॥