भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तूफान / पद्मजा बाजपेयी

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:45, 14 फ़रवरी 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पद्मजा बाजपेयी |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मई का स्याह दिन, तूफान काल,
किस तरह हवा चली? खो गये, जिनका पता नहीं,
बहुतों को बेबस, बेघर बना गयी,
समुद्र आज भी सिसकता है, जिसकी गोद में,
हजारों को डुबो गई, त्रासदी की खबरों से,
करुणा भी पथरा गई, हाय-हाय की पुकार से,
पृथ्वी भी डगमगा गई, उन अमर दुलारो हित,
कुछ शब्द पुष्प अर्पित है, कुछ अश्रु बिन्दु अर्पित है।