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सूखा / पद्मजा बाजपेयी
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पिछले तीन वर्षो से, अनावृष्टि सूखा,
क्या हो गया है, मेघों को,
जो छोड़ देते है, कुछ भाग और आगे बढ़ जाते हैं
इंसान की तरह, मेघ की बदल गए हैं,
जो करना चाहिए, वह नहीं कर रहे हैं,
खेतों में अनाज क्या चारा भी नहीं,
जिससे पशु को ही बचाया जाए और बच्चो को सहारा मिले,
सूखे ने अभाव भूखमरी, गरीबी को बढ़ाया है
बेजान हो गए सब, पानी के बिना,
दुर्लभ हो गया है उनका जीना,
उनकी व्यथा लिखी नहीं जा सकती,
केवल अनुभूत ही होती है।