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डंका / हरिओम राजोरिया

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दंगा हो जाने के बाद
सत्ता के झूठ का बजता है डंका
अहंकार को अभिव्यक्त करता
स्त्रियों - बच्चों के मान मर्दन के बाद
मर्दानगी का बजता है डंका
डंका है कि बेधड़क - सरेआम
डंके की चोट पर बजता है
और बजता ही चला जाता है

घर जल रहे होते हैं इधर
पृथ्वी के दूसरे छोर पर बहुत दूर
सुनाई पड़ता है डंके का अनुनाद
बावजूद सुनाई नहीं पड़ता
किसी स्त्री का विलाप
न रुदन, न चीत्कार, न हाहाकार

विकास कुमार मन्द - मन्द मुस्कुराते
देख रहे होते हैं
टी० वी० पर जलती हुई राजधानी
विजय घण्ट बजने, घोड़ों के हिनहिनाने
वीरों के हुँकारने और लाचारों को काटने की
मिलती रहती हैं गुप्त सूचनाएँ
दंगा चालू रहता है देश में और
दुनिया में बजता रहता है देश का डंका

बेरोज़गारों पर पड़ती है मार
धिक्कार, धिक्कार, धिक्कार
आँकड़े मिटाकर झूठ बोलती है सरकार
दंगाइयों की भूमिका पर
कभी भी नहीं हो पाता पुनर्विचार
दिल्ली में डंका बजने के बाद
कलकत्ता के लिए सजने लगते हैं हाथी

डंका बज रहा होता है दसों दिशाओं में
और बज - बज कर चपटा हो जाता है ।