भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हाइकु-१ / वसुधा कनुप्रिया
Kavita Kosh से
Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:41, 8 अप्रैल 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वसुधा कनुप्रिया |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
सघन वन
भटकते क़दम
नीरव मन
रात्रि उदास
मन में है विश्वास
होगा उजास
दृग छलके
देख रहे हैं हम
ख़्वाब कल के
संसार मेला
मिलन बिखराव
यात्री अकेला
प्रीत की डोर
सागर में हिलोर
ओर न छोर