भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सही बाटो / युद्धप्रसाद मिश्र

Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:50, 9 मई 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= युद्धप्रसाद मिश्र |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सङ्कीर्णताको परखाल नाघी
यथार्थ वैज्ञानिक पन्थ लागी
पीडितमा जागृति बत्ति बाल
भगाइद्यौँ भारतका दलाल

प्रगति भो अब व्यापक जाज्वल
परिसके प्रतिगामीहरू तल
उठिसक्यो भई व्यापक जागृति
उदित भै जनमानसको स्थिति

विजयको भई दर्पण शानमा
प्रवल भै मनको बलिदानमा
जनजागृत भै उठदै गयो
परपीडनता टुट्दै गयो

असही शोषण जागृति हो सही
जनयथार्थ कुरो बीचमा नरही
फगत नित्य रुचाई विलासता
रहन सम्भव छैन कतै यता