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नव सृजन / मनीष मूंदड़ा
Kavita Kosh से
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नयी शुरुआत
नए आसार
नए प्रारूप का नया अभिसार
एक नयी ज़िन्दगी का आगमन
नई भोर से आचमन
नयीं नवेली आशाओं का पदार्पण
संघर्षों का तर्पण
सदैव तत्पर रहने का प्रण
फिर एक नया रण
कठिन होगी राह मगर
कुछ नया सृजन होगा
विचारों का अतिरेक होगा
एक नया स्पंदन होगा
प्रखरित होंगे नये कुसुम
दूर क्षितिज में
नए सूर्य का आगमन होगा
सुहानी-सी भोर होगी
देखो प्रस्फुटित फिर से जीत होगी।