भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सत्य-असत्य / हरिमोहन सारस्वत
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:28, 17 अगस्त 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरिमोहन सारस्वत |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
सत्य-असत्य
दोनों मेरे हैं
जिन्हें परोसता हूं मैं
अपने मेहमान की थाली में
बड़ी चतुराई के साथ
मेरा मेहमान भी
नहीं है मुझसे कहीं कम
आरोग लेता है वो
मेरी परोसी हर बात को
वाह-वाह के साथ
शर्मिंदा हैं शब्द
मेरी पुरसगारी पर
लानत भेजते हैं
मेरे मेहमान की
दिलदारी पर..