योद्धा / शीतल साहू
योद्धा, वह जो लड़े
योद्धा, वह जो संघर्ष करे,
योद्धा वह जो लड़े अवरोधों से
योद्धा, वह जो लड़े कंटको से
योद्धा, वह जो लड़े परिस्थितियों से
योद्धा, वह जो लड़े अपने कमजोरियों से,
योद्धा, वह जो लड़े और बढ़े कर्तव्य पथ पर
बचपन से ही हूँ लड़ रहा,
कभी भरपेट भोजन के लिए,
कभी दो घूँट पानी के लिए,
कभी तन को ढकने छोटे से कपड़े के लिए,
कभी एक अदने से खिलौने के लिए
कभी किताब और कॉपियों के लिए,
हाँ, लड़ता रहा हूँ,
कभी नशे में धुत पिता को समझाने
कभी दर्द से तड़पती माँ को संभालने
कभी बहन की रक्षा के लिए
कभी भाई की शिक्षा के लिए
कभी घर की तंगहाली से
कभी ख़ुद की बदहाली से
कभी छोटे से एक रोजगार के लिए
कभी अच्छी संगत और यार के लिए
हाँ, लड़ता रहा हुं
कभी अपने पगार के लिए
कभी थोड़े से उधार के लिए
कभी अपने अधिकार के लिए
कभी समता और प्यार के लिए
कभी लोगों की चतुराई से
कभी झूठ और बुराई से
कभी कामचोरी और निर्लज्जता से
कभी बेईमानी और दुर्जनता से
हाँ, मैं सदा एक योद्धा रहा हूँ,
युद्धों में लड़ता आ रहा हूँ
जीतता और बढ़ता आ रहा हूँ,
नही घबराता कंटको और अवरोधों से
नही डरता संघर्षों और युद्धों से,
डटा रहूंगा अपने कर्म पथ पर
और बढ़ता रहूंगा जीवन के इस अग्निपथ पर।