भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गाँति / दीप नारायण

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:48, 12 फ़रवरी 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दीप नारायण |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatMai...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कय ठामसँ चहकल
एगोट नुआकेँ
बीचो-बीच दु टुकड़ी क' फाड़ि

बान्हि देने रहथिन माय
दुनू भाइकेँ गाँती

तकरा बाद,
लाल भेल रहैक
बड़की काकीक आँखि
आ मायक

तहियेसँ हमरा
पसिन नहि अछि जाड़ मास।