भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गमागम ऐंगना / त्रिलोकीनाथ दिवाकर
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:01, 18 नवम्बर 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=त्रिलोकीनाथ दिवाकर |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
गोड़ बजड़ै छै धमाधम ऐंगना
ढोल बाजै छै ढमाढ़म ऐंगना
लाल कुरती में खिलै छै सजनियाँ
मूय चमकै छै जनां कि चननियाँ
बाल गजरा से गमागम ऐंगना
ढोल बाजै छै ढमाढ़म ऐंगना।
ताल झूमर संग भूलै पहरिया
सब सहेली संग लचकै कमरिया
देह घामों से चमाचम ऐंगना
ढोल बाजै छै ढमाढ़म ऐंगना।
मोन हरसै आय देखी सवँरिया
हाथ मांगै भाय छेकी दुअरिया
प्रेम बरसै छै झमाझम ऐंगना
ढोल बाजै छै ढमाढ़म ऐंगना