भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ऐलै चुनाव / त्रिलोकीनाथ दिवाकर
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:13, 18 नवम्बर 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=त्रिलोकीनाथ दिवाकर |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
ऐलौ चुनाव
सबके लुभाव
नै मानौ त‘
लोरे चुआव
ऐलौ चुनाव।
मुँहो पर हँसनी
जीहो पर चसनी
कोय उल्टा कहै त‘
सुनी मुड़का हिलाव
ऐलौ चुनाव।
फँसाबै जालो में
रहै कोय हालो में
कुच्छू लै दै क‘
भरोसा दिलाव
ऐलौ चुनाव
चमचा के जै-जै
परचारो छै थै-थै
रेसो मे आबै ल‘
खोड़ा पढ़ाव
ऐलौ चुनाव।
चुनाव जीती क‘
छोड़ नीति क‘
जनता के पैसा सें
खिचड़ी पकाव
ऐलौ चुनाव।