भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बागलुङको बजार / धर्मराज थापा
Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:04, 4 फ़रवरी 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= धर्मराज थापा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
पूर्व बग्ने कालिगङ्गा, पश्चिम काँठेखोला
थाप्लो माथिको बागलुङ्गेले कहिले फेर्ने चोला
बागलुङको बजार, पँधेर्नीलाई दुःख हजार
कुखुराको भाले बासो हे पँधेर्नी उठ
पँधेरामा भइसक्यो पानी लुटालुट
बागलुङको बजार, पँधेर्नीलाई दुःख हजार