भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मेघ मल्हार(सोनेट) / अनिमा दास

Kavita Kosh से
वीरबाला (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:09, 25 मई 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= अनिमा दास }} {{KKCatKavita}} <poem> तुम गा रहे हो...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुम गा रहे हो मेघ मल्हार प्रियवर, वन पक्षी रो रहे
उमड़ रही है उन्मादी नदी प्रियवर, दृग हैं सो रहे
झर रही है अंतरिक्षीय मधु प्रियवर, मन-मोर अधीर
वृक्षवासी हैं आह्लादित प्रियवर, इरा बहाए नीर।

हृद-शाखाएँ पल्लवित प्रियवर, शब्दों में अलंकार
तीर्ण देह पर शांत स्पर्श प्रियवर, अधरों में झंकार
वक्ष अंबर का भीगता प्रियवर, आशाओं में है गमक
तिमिर की परछाई गहन प्रियवर, मुख पर है दमक।

पर्वत से बहता हिमजल प्रियवर, सुरों में भी नीरद
पक्षियों का संगीत मधुर प्रियवर, पंखों में भरें जलद
दामिनी संग नृत्यरत प्रियवर, इरा है लगी प्रेम सरि
अम्लीय अश्रु मधुर प्रियवर, मदिर-सा लगे मेघावरि।

सघन गहन व्यथाओं में मलयज है सुगंधित प्रियवर
थिरकती वारि बूँद में पुष्परज है सुरभित प्रियवर।
-0-