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मिलाएँ आँधियाँ / प्रेमलता त्रिपाठी
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आग अंतर में उठाएँ आँधियाँ ।
साहसी जीवन बनाएँ आँधियाँ ।
ठोकरें लगती रहेंगी राह में,
एक दूजे से मिलाएँ आँधियाँ ।
स्नेह जो अंतस पनपते ही रहें,
होश में कण कण लुटाएँ आँधियाँ ।
हम कहानी नाज फूलों की लिखें,
पीर कंटक सी जगाएँ आँधियाँ ।
कारवाँ बढ़ता रहे यदि साथ हम,
सरफिरी फिर भी कहाएँ आँधियाँ ।
प्रेम पूजे पत्थरों को देव सम,
साधना मनमें सजाएँ आँधियाँ ।