भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मिलाएँ आँधियाँ / प्रेमलता त्रिपाठी

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:28, 23 जून 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रेमलता त्रिपाठी |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आग अंतर में उठाएँ आँधियाँ ।
साहसी जीवन बनाएँ आँधियाँ ।

ठोकरें लगती रहेंगी राह में,
एक दूजे से मिलाएँ आँधियाँ ।

स्नेह जो अंतस पनपते ही रहें,
होश में कण कण लुटाएँ आँधियाँ ।

हम कहानी नाज फूलों की लिखें,
पीर कंटक सी जगाएँ आँधियाँ ।

कारवाँ बढ़ता रहे यदि साथ हम,
सरफिरी फिर भी कहाएँ आँधियाँ ।

प्रेम पूजे पत्थरों को देव सम,
साधना मनमें सजाएँ आँधियाँ ।