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मेरी हथेलियाँ / नेहा नरुका
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मैं बिस्तर पर लेटी ही थी
तभी मेरी निगाह
मेरी हथेलियों पर चली गई
मैंने देखा,
मेरी हथेलियों की ख़ाल काफी सख़्त है
मैंने धीरे-धीरे ख़ाल की एक परत उचाटी
फिर एक के बाद एक कई परतें उचटती चली गईं
उन परतों के नीचे कुछ हुनर की स्याही निकली
कुछ निकली भोजन की महक
कुछ पोंछे का मैला पानी
कुछ साबुन के रसायन निकले
कुछ निकले धूल के कण
कुछ मल की बू निकली
वैसे फूलों की महक वाली
क्रीम की बोतल रखी है मेरे घर में
पर इन हाथों पर कुछ बूँदें उड़ेलने की फुर्सत
मैंने कविताएँ लिखने में जाया कर दी ।
