भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लपट / आदम ज़गायेवस्की

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:57, 24 अक्टूबर 2022 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हे ईश्वर, हमें लम्बी सर्दियाँ दो
और शान्त संगीत, और धैर्यवान चेहरा
और थोड़ा-सा गौरव दो
इससे पहले कि हमारा युग ख़त्म हो जाए ।

हमें एक गहरा अचम्भा दो
और एक लपट दो,
ऊँची, चमकदार-भड़कीली

अँग्रेज़ी से अनुवाद : गीत चतुर्वेदी