भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

षड्यंत्र / ऋचा जैन

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:29, 14 अप्रैल 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ऋचा जैन |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <po...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

शब्द सताते रहे
सालों साल
बिछाते रहे एक
मायावी जाल

ख़ुद से बातें करना
ख़ाली दृश्य देख मुसकाना
अकथनीय पे झुँझलाना
उन्मत्त सी रहने लगी
जब तक कि मैंने लेखनी नहीं उठाई