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कलम / दीपा मिश्रा

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कलम तुम खुशी लिखो
जिससे किसी के चेहरे पर
भले एक ही क्षण के लिए
मुस्कान झलक जाए

कलम तुम गीत लिखो
जिसे गाकर कोई व्यथित मन
अपनी तकलीफ़ों को
भूल जाए

कलम तुम जीत लिखो
जिससे कोई अपनी
मनचाही मंजिल
पा जाए

कलम तुम प्रकाश लिखो
जिससे मन के
तिमिर रौशन होकर
छँट जाएँ

कलम तुम कभी मत
कुछ ऐसा लिखो जिससे
किसी को चोट पहुंचे
दर्द हो

कलम तुम कभी मत लिखना
किसी की निंदा
कुछ भी ऐसा
जिससे किसी का
अपमान हो

मेरे कलम
तुम मेरे सच्चे साथी हो
चलो मिलकर चलें
उस दिशा में

जहाँ प्रयास हो
मेहनत हो
सफलता हो
जहाँ सकारात्मकता हो
ज्ञान हो और ज्ञान का
यथोचित सम्मान हो