भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आँच / वंदना मिश्रा

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:06, 3 अक्टूबर 2023 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गर्मियों में तेज आँच देख कर माँ कहती थी
"आग अपने मायके आई है"
और फिर चूल्हे की लकड़ियाँ
कम कर दी जाती थी

मैं कहती थी" मायके में तो
उसे अच्छे से रहने दो माँ
कम क्यों कर रही हो?"

माँ कहती थी
"ये लड़की
प्रश्न बहुत पूछती है।"

बाद में समझ आया
प्रश्न पूछने से मना करना
आग कम करने की तरफ
बढ़ा पहला कदम होता है।