भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मोना गुलाटी / परिचय

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:35, 19 मई 2025 का अवतरण ('मोना गुलाटी 7 जनवरी 1946 को मॉन्टगुमरी में जन्मीं मो...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मोना गुलाटी

7 जनवरी 1946 को मॉन्टगुमरी में जन्मीं मोना गुलाटी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी, अंग्रेज़ी और दर्शनशास्त्र में एम ए की उपाधि ली थी, साथ ही एल एल बी भी किया था। वे लंबे समय तक पटियाला हाउस कोर्ट, नयी दिल्ली में अधिवक्ता रहीं और उन्होंने कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स में सौंदर्यशास्त्र का अध्यापन भी किया। 1977-78 में ‘अस्ति’ नामक कविता पत्रिका का उन्होंने संपादन किया जिसमें कविता और चित्रकला को जोड़ने का महत्त्वपूर्ण प्रयोग किया गया। उनके दो कविता-संग्रह प्रकाशित हैं: महाभिनिष्क्रमण (1992) और सोच को दृष्टि दो (1995)। अमेरिका की एक कविता संस्था द्वारा उन्हें ‘गोल्डन पोएट’ की उपाधि से नवाज़ा गया।

हिन्दी साहित्य में ‘अकविता’ आंदोलन की महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षर रहीं सुश्री मोना गुलाटी का 26 अप्रैल 2025 का शिकागो, अमेरिका में देहान्त हो गया, जहाँ वे विवाह के बाद जसविन्दर कौर के नाम से ्पिछले क़रीब पन्द्रह वर्ष से रह रही थीं।

लम्बे अरसे से अमेरिका प्रवास के कारण हिन्दी की साहित्यिक हलचलों से वे बाहर थीं, जिसके कारण उनके रचनाकर्म का एक बड़ा हिस्सा अभी भी अप्रकाशित है। उसे लोगों के सामने आना चाहिए।